जातिवाद: अर्थ, कारण, समाधान और सुझाव

 भारतीय समाज में राष्ट्रीय एकीकरण की अनेक समस्याओं में जातिवाद एक ऐसी भावना है, जो राष्ट्रवाद के स्थान पर समूहवाद, भाई-भतीजावाद को जन्म देती है तथा राष्ट्रीय एकीकरण की भावना व मूल्यों को कमजोर करती है। इस प्रकार जातिवाद एक संकीर्ण मनोवृत्ति है, जो स्वयं की जाती को प्राथमिकता देते है तथा अन्य जाति के प्रति घृणा या द्वेष की भावना रखते है। समनर के अनुसार जातिवाद का मूल आधार 'ऐथनो सेन्ट्रीशिज्म' (अर्थात् हम जिस समूह के है, वो बेस्ट है) है। जिसे नृजाति, केन्द्रवाद कहा जाता हे।

जब व्यक्ति समूह को या स्वयं को अन्य की तुलना में श्रेष्ठ माने तो यह भावना एथनोसेन्ट्रीशिज्म कहलाती है।

    जातिवाद के कारण 

    1. अन्त:विवाह अर्थात् व्यक्ति अपनी ही जाति में विवाह करें।
    2. जातीय संगठन
    3. जजमानी व्यवस्था का विघटन
    4. संस्कृतिकरण की प्रक्रिया
    5. औद्योगिकीकरण एवं नगरीकरण
    6. यातायात व संचार साधनों का विकास
    7. जाति आधारित राजनीति का विकास आदि।

    जातिवाद को दूर करने के सुझाव 

    1. अन्तर्जातीय विवाह को बढ़ावा दिया जाए।
    2. उचित शिक्षा व्यवस्था लागू की जाए।
    3. जातीय संगठनों पर रोक लगायी जाए।
    4. जाति सम्बन्धी नाम व उपनाम लिखने की प्रथा बन्द की जानी चाहिए।
    5. आरक्षण का तार्किकीकरण किया जाये।
    6. जातीय आधार पर टिकट वितरण पर रोक लगाई जाए।
    7. तीव्र, आर्थिक विकास करना।
    8. राष्ट्रीय भावना का प्रचार व प्रचार करना।
    9. कठोर कानून का निर्माण व क्रियान्वयन करना।

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