भारत का उपराष्ट्रपति | Indian Polity Exam Notes

उपराष्ट्रपति

       उपराष्ट्रपति का पद देश का द्वितीय सर्वोच्च पद होता है। वरीयताक्रम में उसका पद राष्ट्रपति के बाद आता है। भारत में उपराष्ट्रपति का पद संयुक्त राज्य अमेरिका की तर्ज पर बनाया गया है।

उपराष्ट्रपति योग्यताएँ-

  • वह भारत का नागरिक हो।
  • वह 35 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका हो।
  • राज्य सभा का सदस्य बनने के लिए योग्यता रखता हो।
  • वह किसी लाभ के पद पर न हो। परंतु वर्तमान राष्ट्रपति अथवा उपराष्ट्रपति, किसी राज्य का राज्यपाल और संघ अथवा राज्य का मंत्री को लाभ का पद नहीं माना जाऐगा।

निर्वाचन (अनुच्छेद-66)-

  • उपराष्ट्रपति का निर्वाचन, भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा कराया जाता है।
  • उपराष्ट्रपति का चुनाव, आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय मत पद्धति द्वारा कराया जाता है।
  • उपराष्ट्रपति के चुनाव में राज्य सभा और लोक सभा के सदस्य मतदान करते हैं।
  • यह बिन्दु ध्यान देने योग्य है, कि उपराष्ट्रपति के चुनाव में मनोनीत सदस्य भी मतदान करते हैं, जबकि राष्ट्रपति के चुनाव में मनोनीत सदस्य मतदान नहीं करते हैं।
  • राज्य विधान मण्डलों के सदस्य उपराष्ट्रपति के चुनाव में मतदान नहीं करते हैं, जबकि राष्ट्रपति के चुनाव में राज्य विधान मण्डलों के सदस्य मतदान करते हैं।
  • उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए 20 प्रस्तावक तथा 20 अनुमोदक होते हैं।
  • उम्मीदवार के लिए जमानत राशि, 15,000 रूपये है। इस राशि को उम्मीदवार ’भारतीय रिजर्व बैंक‘ में जमा कराते हैं।

कार्यकाल (अनुच्छेद-67)-

  • उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पद ग्रहण से 5 वर्ष तक होता है।
  • उपराष्ट्रपति पद के लिए कोई व्यक्ति दोबारा भी चुना जा सकता है।
  • 5 वर्ष की अवधि के पश्चात् भी उपराष्ट्रपति तब तक पद त्याग नहीं करता है, जब तक कि नया उपराष्ट्रपति पद ग्रहण न कर ले।

शपथ (अनुच्छेद-69)-

       राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति को शपथ ग्रहण कराते हैं। (शपथ का प्रारुप)

  1. मैं भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा।
  2. मैं अपने पद और कर्त्तव्यों का निर्वाह श्रद्धापूर्वक करूंगा।  

उप-राष्ट्रपति पद की शर्तें

संविधान द्वारा उप-राष्ट्रपति पद हेतु निम्न दो शर्तें निर्धारित की गई हैं :

  1. वह संसद के किसी भी सदन अथवा राज्य विधायिका के किसी भी सदन का सदस्य न हो। यदि ऐसा कोई व्यक्ति उप-राष्ट्रपति निर्वाचित होता है तो यह माना जाएगा कि उप-राष्ट्रपति का पद ग्रहण करने के तिथि से उसने अपनी उस सदन की सीट को रिक्त कर दिया है।
  2. वह किसी लाभ के पद पर न हो।

पद से हटना-

  • उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति को इस्तीफा देकर पद त्याग कर सकता है।
  • राज्य सभा के पूर्ण बहुमत से पारित संकल्प द्वारा जिससे लोक सभा सहमत हो, उपराष्ट्रपति को पद से हटाया जा सकता है। हटाने के प्रस्ताव का आरंभ राज्य सभा में होगा।
  • उपराष्ट्रपति को हटाने संबंधित प्रस्ताव लाने से 14 दिन पहले सूचित किया जाता है।

उपराष्ट्रपति की शक्तियाँ-

  • संविधान में उपराष्ट्रपति के रूप में उसका कोई कार्य वर्णित नहीं है।
  • राज्य सभा के पदेन सभापति तथा राष्ट्रपति की अनुपस्थिति या पद रिक्ति के समय वह राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है। उपराष्ट्रपति अपना वेतन राज्य सभा के सभापति के रूप में प्राप्त करता है।
  • 2018 में संसद ने राज्यसभा के सभापति का वेतन 1.25 लाख रुपये से बढ़ाकर 4 लाख रुपये प्रतिमाह कर दिया। पहले 2008 में सेवानिवृत्त उप-राष्ट्रपति की पेंशन को बीस हजार रुपये प्रतिमाह से बढ़ाकर वेतन का 50 प्रतिशत किया गया था। इसके अलावा उसे दैनिक भत्ता, नि:शुल्क पूर्ण सुसज्जित आवास, फोन की सुविधा, कार, चिकित्सा सुविधा यात्रा सुविधा एवं अन्य सुविधायें भी मिलती है।
  • उप-राष्ट्रपति जब किसी अवधि में कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है तो वह राज्यसभा के सभापति को मिलने वाला वेतन नहीं पाता है, अपितु उसे राष्ट्रपति को प्राप्त होने वाले वेतन व भत्ते आदि प्राप्त होते हैं।  

भारत एवं अमेरिकी उप-राष्ट्रपति की तुलनात्मक स्थिति

  • यद्यपि भारत के उप-राष्ट्रपति का पद, अमेरिका के उप-राष्ट्रपति के मॉडल पर आधारित है, तथापि इसमें काफी विभिन्नता है। अमेरिका का उप-राष्ट्रपति, राष्ट्रपति का पद रिक्त होने पर अपने पूर्व राष्ट्रपति के कार्यकाल की शेष अवधि तक उस पद पर बना रहता है। दूसरी ओर भारत का उप-राष्ट्रपति, राष्ट्रपति का पद रिक्त होने पर, पूर्व राष्ट्रपति के शेष कार्यकाल तक उस पद पर नहीं रहता है। वह एक कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में तब तक कार्य करता है, जब तक कि नया राष्ट्रपति पदभार ग्रहण न कर लें।
  • उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि संविधान ने उप-राष्ट्रपति की क्षमता के अनुरूप उसे कोई विशेष कार्य नहीं सौंपे हैं। अत: विशेषज्ञ इसे ‘हिज सुपरफ्लुअस हाइनेस’ कहते हैं यह पद भारतीय संवैधानिक व्यवस्था में राजनीतिक निरंतरता को बनाए रखने के लिए सृजित किया गया है।

 

उप-राष्ट्रपति से संबंधित अनुच्छेद (संक्षिप्त विवरण)

अनुच्छेद

संबंधित विषयवस्तु

63

भारत का उप–राष्ट्रपति

64

उप-राष्ट्रपति का राज्यसभा का पदेन सभापति होना

65

राष्ट्रपति के पद पर उसकी अनुपस्थिति में या आकस्मिक रिक्ति के दौरान उप-राष्ट्रपति का राष्ट्रपति के रूप में कार्य करना या उसके कार्यों का निर्वहन

66

उप-राष्ट्रपति का निर्वाचन

67

उप-राष्ट्रपति की पदावधि

68

उप-राष्ट्रपति कार्यालय की रिक्ति की पूर्ति के लिए निर्वाचन का समय निर्धारण तथा आकास्मिक रिक्ति की पूर्ति के लिए चुने गए व्यक्ति की पदावधि

69

उप-राष्ट्रपति द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान

70

राष्ट्रपति के कर्त्तव्यों का निर्वहन अन्य आकस्मिकताओं में

71

उप-राष्ट्रपति के निर्वाचन संबंधी अथवा उससे जुड़े विषय।

 

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